हमारे सपने तो बड़े-बड़े होते हैं किंतु उनको
साकार करने के लिए हम न तो कठोर श्रअम करते
हैं, न समय देते हैं और न ही हम में सब्र होता है।
कोशिश करते हो, फिर भी सफलता नहीं मिलती
तो निराश मत होओ करन उस व्यक्ति को याद
करो
जिसने 21साल की उम्र में बार्ड मेंबर का चुनाव
लड़ा और हार गया। 22वें वर्ष में शादी की, पर असफल
रहा। 24वें वर्ष में व्यवसाय करना चाहा, फिर नाकाम
रहा। 27वें वर्ष में पत्नी ने तलाक दे दिया। 32वें वर्ष
में सांसद पद के लिए खड़ा हुआ, पर मात खा गया।
37वें वर्ष में कांग्रेस की सीनेट के लिए खड़ा हुआ, किंतु
हार गया । 42वें वर्ष में फिर सांसद पद के लिए खड़ा
हुआ और फिर हार गया। 47वें वर्ष में उपराष्ट्रपति पद
के लिए खड़ा हुआ, पर परास्त हो गया, लेकिन वही
व्यक्ति 51 वर्ष की उम्र में अमेरिका का राष्ट्रपति बना।
नाम था- अब्राहम लिंकन। हिम्मत
मत हारो, नए सिरे से फिर यात्रा
शुरू करी, कामवानी जरूर
मिलेगी। प्रयत्न और पुरुषार्थ
सीखना है तो चींटी से सीखो।
चींटी अपने से पांच गुना वजन
लेकर दस बार दीवार पर चढ़ती
है, गिरती है।
चढ़ती है, गिरती है।
मगर हिम्मत नहीं हारती। ग्यारहवीं
बार फिर कोशिश करती है और
सफल हो जाती है। संघर्ष कीजिए,
कोशिश कीजिए, सफलता अवश्य मिलेगी। महावीर से
लेकर महात्मा गांधी तक, बुद्ध से लेकर बिड़ला तक,
क्राइस्ट से लेकर किरण बेदी तक, आदि शंकराचार्य से
लेकर अब्दुल कलाम तक और तुकाराम से लेकर
तरुणसागर तक,
सब संघर्ष करके ही अपनी मंजिल तक
पहुंचे हैं, पर याद रखना- कार्य जितना बड़ा होगा, श्रम,
सब्र और समय भी उतना ही अधिक मांगेगा। हम अपने
मिशन में केवल इस कारण से सफल नहीं हो पाते हैं।
कि हमारे सपने तो बड़े-बड़े होते हैं किंतु उन सपनों को
साकार करने के लिए हम न तो कठोर श्रम करते हैं, न
समय देते हैं और न ही हम में सब्न होता है।
- मुनि श्री तरुण सागर