जब जिम्मेदारी और अधिकार एक
साथ होते हैं, तभी लोग सचमुच
सशक्त बनते हैं।
अगर आप लोगों को काम करने की
पूरी स्वतंत्रता नहीं देते हैं, तो दुनिया
भर का प्रशिक्षण भी बहुत सीमित सफलता
देगा। जैसा जनरल जॉर्ज एस. पैटन ने एक
बार कहा था, 'कभी भी लोगों को यह न
बताएं कि उन्हें काम कैसे करना है। उन्हें
सिर्फ यह बताएं कि क्या करना है। वे अपनी
चतुराई से उसे करने का तरीका खोजकर
आपको आश्चर्यचकित कर देंगे।' हालांकि
आप लोगों को इतना स्वतंत्र भी नहीं छोड़
सकते कि किसी तरह का तंत्र ही न रहे,
परंतु आपको उन्हें रचनात्मकता की पर्याप्त
स्वतंत्रता भी देनी चाहिए।
इसके लिए
आपको उन्हें तीन बड़ी चीजें देनी होगी:
है
वमो
विकास मंत्र
जिम्मेदारी, अधिकार और जवाबदेही।
कुछ लोगों को इन तीनों में जिम्मेदारी
देना सबसे आसान काम लगता है। हम सब
चाहते हैं कि हमारे आसपास के लोग
जिम्मेदार हों। हम जानते हैं कि यह कितना
महत्वपूर्ण है। कुछ लीडर्स के लिए यह
ज्यादा मुश्किल होता है कि कर्मचारियों को
जिम्मेदारी देने के बाद वे हमेशा के लिए
उससे मुक्त हो जाएं। खराब मैनेजर अपने
कर्मचारियों के काम के हर छोटे-छोटे
विवरण को नियंत्रित करना चाहते हैं।
जब
ऐसा होता है, तब उनके अधीन काम करने
वाले संभावित लीडर्स कुंठित हो जाते हैं।
और विकास नहीं कर पाते हैं। ज्यादा
जिम्मेदारी चाहने की बजाय वे उदासीन हो
जाते हैं या हर जिम्मेदारी से बचते हैं । अगर
आप चाहते हैं कि आपके कर्मचारी
जिम्मेदारी लें, तो आप सचमुच उसे देकर
मुक्त हो जाएं।
जिम्मेदारी के साथ ही अधिकार भी देने
पड़ते हैं। जब तक दोनों इकट्ठे नहीं दिए
जाएं, तब तक प्रगति नहीं हो सकती। द्वितीय
विश्वयुद्ध के दौरान संसद को संवोधित
करते हुए विंस्टन चर्चिल ने कहा था, 'मैं
आपका सेवक हूँ। आपको यह अधिकार है
कि आप जब चाहें मुझे हटा दें, परंतु आपको
यह अधिकार नहीं कि आप मुझे कार्य करने
की शक्ति दिए बिना जिम्मेदारी उठाने के
लिए कहें।