धन कमाने के अवसर हमारे आसपास वहुतायत में मौजूद होते हैं, बस जरूरत उन्हें पहवान कर अक्ल से सही इस्तेमाल की है। एक गांव में रहने वाले निर्धन मजदूर माता-पिता का इकलीता वेटा गोपाल जाव बड़ा हुआ, ट पैसा कमाने शहर चला गया। कुछ दिन त कहा काम नहीं मिला और भूखों मरने की नीवत आ गई। इसी समय गोपाल उदास् हो एक बीचे में बैठा था। कहां उसे एक मरा हुआ चूहा दिखाई दिवा उसके दिमाग में कुछ सूझा। उसने चूहे को एक बिल्ली के मालिक को बेच दिया।
प्राप्त धन से उसने एक बड़ा मटका और दो गिलास खरीदे। मटके में पानी भरकर उसने खेतों में काम करने वाले किसानों की प्यास बझाई। बदले में उनसे कुछ नहीं लिया। उसको भटाई को देखकर किसानों ने खुश होकर उसे अपने खेतों में उगने वाले फूल ले जाने की इजाजत दे दी। खाली मटेको मे फूल भरकर उहुने मंदिर मे बेच दिया, जिससे उसे काफी धन मिला। रोज यहा क्रम चलता रहा और गोपाल कमाई करता गया। फिर एक दिन जोरदार बारिश में जगल में टूटी साल व सागवान की लकड़ियों को इकट्ठा कर बाजार में बेच दिया। इससे गोपाल को मोटी धनराशि प्राप्त हुई क्योंकि साल व सागवान काफी ऊंचे दामों पर विकती है।
एक दिन-उसे पता पड़ा कि घोड़ों का एक व्यापारी घोड़े बेचने आया है। उसने सोचा कि घोड़ों के लिए ताजी घास की जरूरत होगी और उसके सट्व्यवहार से प्रसन्न किसानों ने उसके लिए चंद मिनटों में तजी घास के गट्ठर तैयार कर दिए। गोपाल ने व्यापारी को उसे बेचकर ऊंची कीमत पाई। अब वह पर्याप्त अमीर बन चुका था और अपने माता-पिता को शहर में लाकर शञान से एक हवेली में रहने लगा।
स्पष्ट है कि धन कमाने के अक्सर हमारे आसपास और बहुतायत में मौजूद होते हैं, बस जरूरत उन्हें पहचान कर सही तरीके से इस्तेमाल की है। जो लोग धन की कमी के लिए किस्मत को दोष देते हैं, उन्हें इस कहानी से शिक्षा लेनी चाहिए।