खाटू श्याम जी को भगवान श्री कृष्ण के कलयुगी अवतार के रूप में पूजा जाता है महाभारत की युद्धभूमि में अपना शीष काटकर श्री कृष्ण जी को दान देने वाले बर्बरीक जी जो कि राजस्थान के सीकर जिले के खाटू गांव में खाटू श्याम जी के नाम से प्रसिद्ध है श्याम बाबा के भव्य मंदिर में दर्शन करने के लिए हर दिन लाखों भक्त पहुंचते हैं मान्यता है कि श्याम बाबा सभी की मनोकामनाएं पूरी करते हैं कहते हैं कि जब आप हर जगह से हार जाए तो एक बार इस दिव्य दरबार में जरूर आइए यहां पर दर्शन करने से आपके सभी बिगड़े काम बन जाते हैं जैसे-जैसे कलयुग बढ़ रहा है वैसे ही श्याम बाबा के भक्त भी बढ़ते जा रहे हैं जो कोई भी खाटू श्याम जी को दिल से अपना मान लेता है खाटू नरेश उसके सारे कष्ट हर लेते हैं तो खाटू श्याम जी के दर्शन करने के लिए आप कैसे आ सकते हैं
मंदिर में दर्शन करने के बाद आप और कौन-कौन से दर्शनीय स्थल पर जा सकते हैं खाटू में रहने की और खाने पीने की क्या-क्या सुविधा उपलब्ध है कितना आपका खर्चा हो सकता है दर्शन और यात्रा में आपको किन-किन बातों का विशेष ध्यान रखना है इस खाटू श्याम जी की यात्रा में हम आपको संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं
खाटू श्याम जी के मंदिर तक आने के लिए ट्रेन के माध्यम से सबसे पहले आपको जयपुर रेलवे स्टेशन तक आना होगा वैसे तो खाटू का नजदीकी रेलवे स्टेशन रिंगस रेलवे स्टेशन पड़ता है अगर आपके यहां से रिंगस रेलवे स्टेशन के लिए डायरेक्ट ट्रेन नहीं आती है तो आप जयपुर जंक्शन तक आ जाइए जयपुर जंक्शन सभी प्रमुख शहरों से वेल कनेक्टेड है है और जयपुर से खाटूश्याम जी जाने के लिए बहुत ही अच्छी कनेक्टिविटी भी है लेकिन अगर आप रिंगस आ रहे हैं तो रिंगस से खाटूश्याम जी का मंदिर सिर्फ 16 किमी के डिस्टेंस पर ही लोकेटेड है रिंगस रेलवे स्टेशन के बाहर आपको खाटू जाने के लिए सवारी जीप मिल जाती है जिसका किराया 50 रहेगा वैसे ज्यादातर लोग जयपुर के रेलवे स्टेशन से होते हुए ही आते हैं अगर आप भी जयपुर जंक्शन से आते हैं तो आपको रेलवे स्टेशन से ई रिक्शा में ₹ देकर 1 किमी के डिस्टेंस पर स्थित सिंधी कैंप बस स्टैंड पर आ जाना होगा यहां से आपको खाटू जाने के लिए बहुत सारी राजस्थान रोडवेज और प्राइवेट बसेस मिल जाएगी
खाटू श्याम जी का प्लेटफॉर्म है यह प्लेटफॉर्म उन यात्रियों के लिए स्पेशल बना हुआ है जो खाटू श्याम जी के लिए जाते हैं इस बस स्टैंड के अंदर और बस स्टैंड के बाहर प्राइवेट और गवर्नमेंट की बसेस सुबह 4:00 बजे से ही हर आधे से 1 घंटे में खाटू के लिए रवाना होती है जयपुर से खाटू श्याम जीी 80 किमी की दूरी पर है और गवर्नमेंट बस का टिकट ₹10 से लेकर ₹100 तक लिया जाता है वहीं प्राइवेट बस में नॉन एसी के ₹300 और एसी बस के ₹10 का किराया लिया जाता है लगभग 2 घंटे का सफर तय करते हुए हम खाटू श्याम जी के बस स्टैंड तक पहुंच जाते हैं और इस बस स्टैंड से खाटू श्याम जी का मंदिर मात्र 1 किमी की दूरी पर स्थित है बस स्टैंड से बाहर आते ही सबसे पहले आपको यह वाला प्रवेश द्वार नजर आता है
इस द्वार को तोरण द्वार के नाम से जाना जाता है यहां पर श्याम बाबा के भक्त नाचते गाते खूब एंजॉय करते हुए फाल्गुन महीने के मेले के दौरान गरस के दिन सभी वक्त निशान लेकर रिंगस से खाटू श्याम जी तक 18 किमी की पैदल यात्रा करते हैं और इस तोरण द्वार के पास आकर श्याम बाबा को स्मरण करते हुए उनके दर्शन करने के लिए जाते हैं मंदिर की ओर जाते वक्त आपको रास्ते में बहुत सारी छोटी-बड़ी प्रसाद की दुकानें नजर आएगी इन दुकानों से आप भी प्रसाद ले सकते हैं श्याम बाबा को मिश्री पेड़ा चूरमा और गुलाब के फूल प्रसाद के तौर पर अर्पण किए जाते हैं खाटू श्याम जी के दर्शन करने से पहले सभी भक्त मंदिर के पास में बने इस श्याम कुंड में स्नान करने के बाद ही खाटू श्याम जी के दर्शन करने के लिए जाते हैं
प्राचीन मान्यताओं के अनुसार इस श्याम कुंड में स्नान करने से चर्म रोग भी ठीक हो जाता है और यहां की एक और विशेष बात है इस जगह पर पुराने जमाने में खेत हुआ करता था और यहां पर एक गाय आकर रोज अपने आप दूध दिया करती थी जब लोगों को इस बात का पता चला तो यहां खुदाई की गई तब 30 फीट नीचे महाभारत कालीन बरबरी जी का शीष प्राप्त हुआ था बाद में लोगों ने उस शीष को राजा रतन सिंह जी को सौंप दिया फिर बाद में कार्तिक माह की एकादशी को शीष मंदिर में सुशोभित किया गया
जिसे बाबा श्याम के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है मूल मंदिर 1027 में रूप सिंह चौहान और उनकी पत्नी नर्मदा कवर द्वारा बनवाया गया था अगर आप खाटू श्याम जी के दर्शन सबसे नजदीक से और अच्छी तरह से करना चाहते हैं तो बैरिकेड में बनी हुई सबसे पहली वाली लाइन में आपको जाना होगा महाभारत काल में वनवास के दौरान जब पांडव अपनी जान बचाते हुए जंगलों में भटक रहे थे तब महाबली भीम का सामना हिडिंबा से हुआ
हिडिंबा ने भीम के एक पुत्र घटोतकच को जन्म दिया घटोतकच और उनकी पत्नी अहिलावती पति से बर्बरीक पुत्र हुआ बर्बरीक बचपन से ही वीर योद्धा थे उनको तीन अमोक बाण चलाने का वरदान मिला हुआ था जिससे वे तीनों लोगों में विजय हासिल कर सकते थे क्योंकि बर्बरीक जी को देवी सिदी और शिवजी से आशीर्वाद प्राप्त था जब कौरवों और पांडवों के बीच में युद्ध होना था तब बर्बरीक भी महाभारत के युद्ध में शामिल होना चाहते थे यह इच्छा उन्होंने अपनी मां मौरवी को बताई माता मौरवी ने बर्बरीक की इच्छा स्वीकार करते हुए उनसे बदले में दो वचन लिए पहला आप हारे का सहारा बनोगे दूसरा आपसे कोई दान मांगेगा तो आप मना नहीं करोगे महाभारत की युद्ध भूमि में बरबरी जी आसानी से अपने तीन धनुष बाण से महाभारत का संपूर्ण युद्ध अपने खुद के बल पर जीत सकते थे
श्री कृष्ण जी के कहने पर अपना धनुष बाण चलाकर पीपल के वृक्ष पर जितने भी पत्ते थे सभी पत्तों पर बर्बरीक जी ने छेद कर दिया था और उस पीपल के वृक्ष का एक पत्ता श्री कृष्ण जी ने अपने पैरों तले छुपा कर रखा था लेकिन उस पत्ते को भी छेद हो चुका था आज भी वह पीपल का वृक्ष हरियाणा के कुरुक्षेत्र में मौजूद है और आज भी उस पीपल के वृक्ष में हमें छेद दिखाई पड़ते हैं अगर बरबरी जी यानी खाटूश्याम जी महाभारत का युद्ध कौरवों के पक्ष में लड़ते तो अनर्थ हो जाता क्योंकि कौरव वही है जिन्होंने भरी सभा में नारी का अपमान किया था अगर महाभारत का युद्ध कौरव जीत जाते तो अधर्म की विजय हो जाती और भगवान श्री कृष्ण युद्ध का परिणाम जानते थे उन्हें डर था कि कहीं पांडवों के लिए यह युद्ध उल्टा ना पड़ जाए
इसीलिए भगवान श्री कृष्ण बर्बरी को रोकने के लिए ब्राह्मण रूप धारण करके जब उनसे पूछा कि वो युद्ध में में किसकी तरफ से लड़ने आए हैं तो उन्होंने कहा कि जो पक्ष हारेगा वह उनकी ओर से लड़ेंगे ऐसे में भगवान श्री कृष्ण ने बर्बरीक का शीष दान में मांग लिया बर्बरीक जी बहुत ही बड़े दानी भी थे तो उन्होंने ब्राह्मण को तुरंत अपना शीष दे दिया लेकिन आखिर तक उन्होंने युद्ध देखने की इच्छा जाहिर की श्री कृष्ण ने इच्छा स्वीकार करते हुए उनका सिर युद्धभूमि के एक पहाड़ पर रख दिया युद्ध समाप्त होने के बाद पांडव आपस में ही लड़ने लगे कि युद्ध की जीत का श्रेय किसे मिलना चाहिए तब बर्बरीक ने कहा कि उन्हें जीत भगवान श्री कृष्ण की वजह से मिली है
तब श्री कृष्ण बरबरी के बलिदान से प्रसन्न हुए और उन्हें यह वरदान दिया कि कलयुग में आप खाटू में मेरे नाम से यानी श्याम के नाम से जाने जाओगे और जो भी भक्त हार रहे हैं उनका आप सहारा बनोगे इसीलिए खाटू श्याम जी को हारे का सहारा बाबा श्याम हमारा यह भक्ति भाव से कहा जाता है जब हम लाइन में लगकर आगे बढ़ रहे होते हैं तब हमारे ऊपर गुलाब जल का स्प्रे होता रहता है और श्याम बाबा के दर्शन हमें एक से डेढ़ घंटे में ही बड़ी आसानी से हो जाते हैं
प्राचीन श्याम कुंड में यह वही प्राचीन श्याम कुंड है जहां से खाटू श्याम जी का शीष प्राप्त हुआ था पहले सभी भक्त इस प्राचीन कुंड में स्नान किया करते थे लेकिन भक्तों की संख्या अधिक बढ़ने के कारण प्राचीन कुंड के पास में ही नया कुंड बनाया गया था और प्राचीन कुंड से ही इस वाले नए कुंड में पानी निरंतर आता रहता है इस प्राचीन कुंड के बारे में बहुत सारे भक्तों को मालूम नहीं है तो यहां पर भी आकर आप दर्शन जरूर करना खाटू श्याम जी के मंदिर के पास में ही ही श्याम वाटिका स्थित है
इस जगह पर श्याम बाबा के परम भक्त आलू सिंह महाराज जी की समाधि स्थली है आलू सिंह महाराज जी वही हैं जिन्होंने ब्रिटिश राज के दौरान लोगों में श्याम बाबा के प्रति भक्ति की लहर जगाई थी जो आज भक्ति का महासागर बन चुका है आलू सिंह महाराज जी का विवाह सवाई माधोपुर के राजावत परिवार की कन्या से हुआ था बाद में उनकी पत्नी का देहांत होने के बाद उन्होंने अपना पूरा जीवन श्याम बाबा की भक्ति में बिता दिया था खाटू नगरी में आपको खाने पीने की कोई भी कमी नहीं होने वाली है यहां पर बहुत सारे रेस्टोरेंट्स बने हुए हैं जहां पर आपको ₹10 से लेकर ₹1000 तक वेज थाली मिल जाएगी और यहां पर आपको बहुत सारे मिष्ठान भंडार भी नजर आएंगे
जहां से आप मिठाई चूरमा रबड़ी मालपुए मावा कचौड़ी इस तरह के सभी व्यंजन आप कम रेट में यहां पर एंजॉय कर सकते हैं यहां पर खाने पीने की बढ़िया-बढ़िया चीजें मिल जाती है अगर आप श्याम बाबा के दरबार में रुकना चाहते हो तो तोरण द्वार से मात्र 100 मीटर की दूरी पर वृंदावन धर्मशाला मौजूद है यहां पर आपको एसी होल जिसमें 15 से 20 लोग रह सकते हैं उसका 24 घंटे का चार्ज ₹200 वहीं यहां पर तीन बेड वाला एसी रूम आपको ₹ 660 में मिल जाएगा और नॉन एसी रूम मात्र ₹ में मिल जाएगा और इसी धर्मशाला में खानी पीने के लिए बहुत ही अच्छी सुविधा मिल जाती है अगर आप खाटू श्याम जी की यात्रा एक ही दिन में करते हैं तो आपको 100 से लेकर ₹ 600 तक का खर्चा आ सकता है वहीं अगर आप होटल लेकर रुकते हैं तो खाटू श्याम जी में आपको ₹100 से लेकर ₹1500 में बस मिल जाएगी इसी के साथ हमारी खाटू श्याम जी की यात्रा संपूर्ण हो चुकी है
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